Sunday, January 16, 2011

भोजपुरी का दूसरा नाम अश्लीलता?


आजकल के भोजपुरी फिल्मों और गानों का हाल देखा है आपने? नंगा नाच बना के रख दिया है. चाहे आप गीतों के बोल देख लीजिये या फिर विडियो में नाच रही महिला के कपडे और उसके शरीर पर जूम कर रहे कैमरे का एंगील. इतना ज्यादा भौंडापन, इतनी अश्लीलता भर दी है इन लोगों ने की आप वीडीओ को देखना तो दूर, अपने बड़े-छोटों के साथ बैठ कर इन गानों को सुन तक नहीं सकते. 99% गीत द्वि-अर्थिय होते हैं. गीत के बोल भले ही 'फूल या भंवरों' की बात कर रहे हों लेकिन कैमरे का एंगील लड़की के शरीर पर ही रहेगा. हाल में सुना की कोई बारह-तेरह साल का बच्चा है, कलुआ, अश्लील गाने गाता है और उसके कैसेट की बिक्री भी खूब होती है.

पहले के दशक में भी भोजपुरी फिल्में बनती थीं, जैसे 'गंगा मईया तोहे पियरी चढ़ईबो', 'गंगा किनारे मोरा गाँव', 'दूल्हा गंगा पार के' जो की साफ़ सुथरी और सामाजिक होती थीं, जिनको आप अपने परिवार के साथ बैठ कर देख सकते थे. लेकिन आजकल की भोजपुरी फिल्मों के पोस्टर्स भी देखने लायक नहीं होते हैं.

बेचने और बिकने के लिए निर्माता, निर्देशक, हीरो-हीरोइन किसी भी स्तर पर गिर जाने की होड में लगे हैं. हाल ही में पटना में लगी एक फिल्म "लहरिया लूटs ऐ राजाजी" के 'प्रोमोशन' में आये हीरो और हीरोइन ने गाड़ी से उतरने से हॉल तक पहुंचने तक लगातार एक दूसरे का चुंबन लिया. पूछे जाने पर हीरोइन ने इसे 'बोल्ड' होना बताया और सलाह दी की बिहार के लोगों को थोडा 'बोल्ड' अर्थात शर्महीन हो जाना चाहिए.

आप अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या सुनाना चाहेंगे? "चोली टाईट हो गईल" या "लोलीपोप लागे लू"?