Friday, December 10, 2010
हेलन का कुत्ता
ब्रूक्स की फोटो
मेरी मित्र हैं हेलन. उनके कुत्ते का नाम है 'ब्रूक्स'. हाल ही में हेलन को दस दिन के लिए दूसरे शहर जाना था और वो किसी कारणवश ब्रूक्स को अपने साथ नहीं ले जा सकती थीं. तो उन्होंने ब्रूक्स के लिए दस दिन का 'पेट होटल' (जी हाँ, सही पढ़ा आपने. यहाँ जानवरों के लिए अलग से होटल है)बुक करवाया. हेलन अभी अभी लौट के आई हैं, और आज लंच पर मैंने उत्सुक्तावश उनसे 'जानवरों के होटल' के बारे में पूछा. दस दिन का छः सौ डॉलर (खाना-पीना, टहलाना, मन बहलाना इत्यादी मिला के) और ....ब्रूक्स को 'थाईरोयेड' है जिसके लिए रोज सुबह दवाई देनी होती है और जिसका खर्चा है बारह डॉलर प्रति दिन. कुल मिला कर सात सौ बीस डॉलर दस दिन अपने कुत्ते की देखभाल करवाने का. मैंने पूछा की दवाई देने का इतना महंगा क्यूँ? उन्होंने बताया की जो लोग कुत्तों को दवाई देते/खिलाते हैं, वो खास तौर पे "ट्रेन" किये जाते है, और उस होटल में इस 'ट्रेनिंग' की सर्टिफिकेट वाले ही जानवरों को दवाई खिलाते हैं.
मैंने हेलन से कहा की इतने पैसे खर्च करने पर उन्हें अफ़सोस नहीं हुआ? इस पैसे से वो कुछ और भी कर सकती थीं. तो उन्होंने कहा की ब्रूक्स उनके बच्चे जैसा है, और वो अपने बच्चे के प्रति लापरवाही नहीं कर सकतीं. इस देश में जानवरों के प्रति जितना प्रेम और करुना भाव मैंने देखा है, उतना हम और आप सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं. अभी पिछले हफ्ते की बात है, मैं ऑफिस जा रही थी रास्ते में एक जगह सारी गाडियां रुकी हुई थी क्यूंकि एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा सड़क पर भटक रहा था, जो की यहाँ के लिए असोचनीय है, गाडियां इस लिए रुक गयीं ताकि वो बच्चा किसी गाडी के नीचे न आ जाये. इतने में मैंने देखा की पुलिस और 'एनिमल कंट्रोल' की गाडी वहां आई और उस बच्चे को उठा कर सुरक्षित स्थान पर ले गयी, फिर यातायात खुला.
आपने अखबारों या समाचार में पढ़ा होगा की किसी ने अपने कुत्ते या बिल्ली के लिए अरबों-खरबों की संपत्ति छोड़ दी है, हेलन न तो अरबों की मालकिन हैं और न ही किसी बड़े अमीर खानदान से रिश्ता है उनका. हमारे आपकी तरह माध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं लेकिन अपने जानवरों से उतना ही प्रेम करती हैं जितना एक माँ अपने बच्चे से करती है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
नयी जानकारी ! ऐसे पशु सौभाग्यशाली हैं , जिन्हें इतना आर्थिक दुलार मिलता हो !
ReplyDeleteममत्व तो है ही यहां, लेकिन यह भी लगता है ज्यों इंसानों से मोहभंग हो गया हो और आप दूसरों की अपने प्रति अपेक्षा हो नहीं चाहते.
ReplyDeleteजानवरों से प्रेम तो यहाँ के लोग भी करते हैं यार, पर इतना पैसा नहीं खर्च कर सकते. पर यहाँ भी कुछ लोग हैं, जो अपने कुत्तों को बहुत प्यार करते हैं. सब अपने-अपने संसाधन के हिसाब से करते हैं.
ReplyDeleteहाँ, जो तुमने एक पिल्लै के लिए ट्रैफिक रुकने वाली बात कही है, वो यहाँ के लिए ज़रूर अजूबा हो सकती है क्योंकि यहाँ तो लोग घायल आदमी के लिए नहीं रुकते, कुत्तों की तो बात ही छोड़ो.
पिल्लै को पिल्ले पढ़ा जाए :-)
ReplyDeleteछः सौ डॉलर रे...omg :)
ReplyDeleteभारत में क्या यह "पेट(pet)ढाबे" चल पायेंगे।
ReplyDeleteमनुष्यता केवल मनुष्य के लिए ही नहीं ,इसकी छाँव में सभी जीव जंतु भी आते हैं ..बट इट डिपेंड्स !
ReplyDeleteसभी प्राणियों से प्रेम, बहुत अच्छी बात है। बस भोजन की टेबल पर ही अनेक प्राणी होते हैं। उन अन्य प्राणियों ने क्या बिगाड़ा है?
ReplyDeleteAmrendra aur Mukti dono ki baat sahi hai.
ReplyDeleteKya insaanon se bhi itna prem ho sakega jitna jaanvaron se ..
ReplyDeleteअब तो भारत में भी पेट केयर सेंटर खुल गए हैं ..पर केयर कितनी होती है नहीं मालूम ....ट्रेफिक का रूकना सच में अचम्भे में डाल गया ...
ReplyDeleteकमाल है . अपने यहा तो पैट ढाबे भी नही चल पायेन्गे
ReplyDeleteपेटस प्रेम की एक से एक मिसाल देखने मिल जाती है...
ReplyDeleteमुझे लगता है "जानवरों के लिए प्रेम" के स्थान पर यदि यह कहा जाए कि "अपने पालतू जानवरों के लिए प्रेम" जो अधिक उचित होगा..क्योंकि जानवरों से यदि इस समाज को इतना ही प्रेम होता तो मांसाहार इनके प्रत्येक मील का अंग न होता...
ReplyDeleteकुत्ते बिल्लियों के लिए पश्चिमी समाज में बड़ा आदर भाव और प्रेम देखा जाता है ...नहीं??
पर कुत्तों के लिए होटल और वह भी इतना मंहगा...रोमांचक लगा जानना.
हां, मांसाहार के लिये हत्या और जीवों से इतना प्रेम - यह समझ नहीं आया।
ReplyDeleteउस दिन विध्याचल की देवी के मन्दिर के पुजारी मिले थे। मैने पूछा क्या वहां अब भी बलि दी जाती है। बोले हां, नित्य कम से कम एक बकरे की।
मुझे हिन्दू परम्परा के प्रति ग्लानि हुई! यह धर्म दया-प्रेम सिखाता है!
खूब! बहुत खूब! Thanks
ReplyDeleteDomain For Sale
वाह! कुत्ता हो तो ब्रूक्स जैसे भाग्य के साथ।
ReplyDeleteमेरा मन कई बार करता है कि अपने परिचितों मित्रों और बहुत से ब्लोगरों को बताऊँ कि क्या आप जानते भी हैं कि प्यार क्या होता है ...
ReplyDeleteअगर जानना हो तो एक प्यारा सा जीव जिसे लोग कुत्ता कहते हैं पाल लो !
यकीनन वह तुम्हें प्यार का अहसास कराना सिखा देगा ! शायद उसकी सोहबत में जान सको कि प्यार किसे कहते हैं !
एक सुंदर लेख के लिए आभार !
स्तुति जी!
ReplyDeleteप्रेम का एक पक्ष आपने बहुत ही सरल ह्रदय से प्रस्तुत किया.....
पर थोडा रंजना जी की बात पर भी गौर कीजिये ....
हो सकता है की सामजिक रिश्ते अब केवल स्वार्थ रह गए है वहा ...इसलिए लोग अपने पालतू जानवरों पर प्रेम निछावर कर रहे है.......क्योकि वो इंसान से ज्यादा वफादार है आज की दुनिया में.....
आपकी साफ़ भावनाओं की क़द्र करता हूँ .....प्रेम से ही दुनिया बेहतर बन सकती है...
बिलकुल सही कहाँ आपने ज्ञानदत्त पाण्डेयजी मै आपसे सहमत हूँ
ReplyDeleteभारत में इतने सारे लोग हैं जब वो लोग आपस में ही प्रेम से नहीं रह पाते तो उनसे जानवरों से प्रेम की उम्मीद करना बेकार है...दुनिया में मैं जहाँ गया हूँ कहीं मैंने सड़कों पर आवारा घुमते कुत्ते, गाय, बकरी ,बैल सूअर , बिल्ली, चूहे घूमते नहीं देखे...विदेश में इंसान ही दिखाई नहीं देते इसलिए अकेला पन काटने के लिए पालतू जानवरों का सहारा लेते हैं...जब बच्चों से प्यार नहीं कर पाते तो जानवरों से प्यार दर्शाते हैं....अमेरिका यूरोप जापान कोरिया केनेडा आदि विकसित देशों में बुजुर्ग अकेले ही जीवन काटते हैं तब उनका सहारा जानवर ही बनते हैं...विकसित देश के निवासी चाहे दूसरे देश के इंसानों के प्रति क्रूरता दिखाएँ लेकिन जानवरों के प्रति उनका प्रेम अनुकरणीय है...
ReplyDeleteनीरज