Wednesday, September 1, 2021

सुबह की चाय, सनराईज़ और तुम

सुबह की चाय, सनराईज़ और तुम 

पता है तीनो में कॉमन क्या है? 

तीनो बस पालक झपकते गुलाबी शाम की तरह सरक जाते हैं 

पलाश के फूलों से रंगे आसमान को को ठीक से निहार लूँ, फिर उस हलकी दरकी हुयी सफ़ेद कप से चाय की चुस्की को गले के नीचे उतार कर तुम्हे कह सकूं "थोड़ी देर और नहीं रुक सकते?"

तुम कुछ वैसे जैसे मलमल के पत्तों पर पानी की बूंदों का सँभलने से पहले ही ढलक जाना 
बुगनबेलिए के फूलों की तरह, अनमने ढंग से लिपट जाना आवारा सा

ऑटम के लाल पीले पत्ते की तरह एक छठा बिखेर कर पतझड़ में बदल जाना 

डेन्डिलायन की फाहों की तरह कहीं उड़ जाना और मैं छोटे बच्चों की तरह दोनों हाँथ हवा में ऊपर करके तुम्हे पकड़ने के लिए तुम्हारे पीछे भागती हुयी सी .. 

Monday, August 30, 2021

कश्मीरी शॉल

 


मेरी भागती हुई शाम और तुम्हारी अलसायी सी सुबह

एक असहज सा फोन कॉल जिसमे नाम मात्र भर का परिचय


फिर अचानक एक दिन मैंने तुम्हारी पीली वाली T Shirt  पर तुम्हे टोका
मुझे आज भी याद नहीं क्यों, तुम एक कॉन्टैक्ट नंबर ही तो थे

उस उमस भरी दोपहरी में पहाड़ों में सबसे दूर, झील के किनारे मैं एक लकड़ी के घरोंदे में सुकून से थी
न जाने कैसे तुम्हारे साथ बातों का तानाबाना बुनती चली गयी और मैं उसी में उलझ कर रह गयी...
सुकून तो किसी पानी के भाप सा उड़ ही गया 



कोई इतनी जल्दी कैसे इतना अपना लग सकता है?
उसे तो ये भी पता था की मुझे कैसी बातें अच्छी लगती हैं

कोई मिले बिना मुझे कैसे ऐसे जान सकता है?
वो तो बिना बोले मेरे एहसास को पढ़ ले रहा था 

कोई मुझे ऐसे कैसे अपना बना सकता है? मैंने इजाज़त दी ही कब?
ज़िद ऐसी जैसे मैंने इसी जनम में साथ देने का वचन दे दिया हो.. ढ़ीठ 

अब मन करता है की पलट कर उन पलों को लपक कर समेट लूँ और तह लगा कर रख दूँ अपनी संदूक में
और किसी सर्दी की शाम, कश्मीरी शॉल ओढ़े, हम चाय पर  मिलें  तो उसकी कुछ तहें तुम खोलना और कुछ मैं 

Friday, December 9, 2011

'लेडिस' से त्रस्त जेंट्स




हमारे देश में एक तरफ तो महिलाओं की बराबर की हिस्सेदारी की बात होती है, तो वहीँ दूसरी ओर महिलायें खुद महिला होने का फायदा उठाती हैं. जी नहीं, ये कोई नारीवाद के ऊपर लेख नहीं है...अरे महाराज पढ़िए ना आगे...

१. आपने तीन महीने पहले ट्रेन की टिकट कटवाई, लोअर बर्थ मिली, आप समय से प्लेटफार्म पहुंचे, ट्रेन में चढ़े, सामान रखा...थोडा सुस्ता कर चश्मा निकाल कर अखबार पढना चालू ही किया था की किसी 'भाई साब' ने कंधे पर ऊँगली घोंप कर कहा - "भाई साब, ऊपर वाले बर्थ पे चल जाईयेगा? 'लेडिस' हैं साथ में.

२. सुबह सुबह आप नहा धो कर इस्त्री की हुई शर्ट पहन कर घर से निकले, निकलते ही सामने एक ऑटो वाला दिखा, जिसमे सिर्फ एक ही सीट बची थी (एक सीट आपकी नजर में, ऑटो वाले की नजर से तो हर कांटी-खूंटी पर लोग लटकाए जा सकते हैं) .. थोड़े दूर आगे जाते ही किसी महिला ने रुकने के लिए हाथ दिया. आप इधर उधर देख रहे हैं, इतने में एक ऊँगली ने फिर से आपके कंधे को घोंपा और कहा "आगे चल आईये, 'लेडिस' बैठेंगी.

३. लोकल बसों में, महिलाओं के लिए कुछ सीटें आरक्षित होती हैं, जिसपे आप बैठने की जुर्रत नहीं कर सकते. इसके अलावा, ड्राइवर के सीट के आजू बाजू वाले सीट पर भी उन्ही का कब्ज़ा रहता है..गीयर बॉक्स से लेकर टूल बॉक्स तक. जैसे कोई वी आई पी लाउंज हो. ड्राइवर बस चलाने के अलावा डी जे का भी काम करता जा रहा है, बस अपनी रफ़्तार से चल रही है....ड्राइवर चींsss करके ब्रेक लगा रहा है...आप किसी तरह एक पैर पर खड़े हैं, इतने में किसी कब्रिस्तान के कब्र से निकलती हुई हाथ की तरह एक हाथ आगे बढ़ा, और आपके कंधे पे ऊँगली घोंप कर कहा "जरा साईड़ हटियेगा, 'लेडिस' को जाना है"

४. आप शाम को दफ्तर से घर जा रहे हैं, आपके पास मोटर साइकिल का कागज़ है, आपने हेलमेट पहना है, लाईसेंस दुरुस्त है, पोलुसन सर्टीफिकेट भी चिम्चिम्मी में रखा हुआ हैं, फिर भी आपको ट्राफिक वाले ने साईड़ में लिया, साथ में दो तीन दू पहिया वालों को और रोका गया जिसमे से एक स्कूटी-धारी महिला भी थीं, उनको देखते ही, मोबाईल भैन के पास खैनी पीट रहे बड़ा साहब बोले.."जाए दो इनको..". आपने गुस्ताखी में पूछ डाला की ऐसा दो भाव क्यूँ? इतने में किसी ने बेंत के डंडे से कंधे पर घोंप कर कहा ..."दिख नहीं रहा है रे अन्हरा...'लेडिस' हैं'



इंडिया साइनिंग ...जा झाड़ के!

Thursday, July 7, 2011

रैपिडेक्स टिपण्णी कोर्स - मात्र दस मिनट में टिपण्णी करना सीखें




मैंने ब्लॉग जगत के बड़े बुजुर्गों से अपने ब्लॉग को सफलता के पायदान पर ऊपर बढाने के लिए कुछ जड़ीबूटी देने को कहा था. सौ बात की एक बात पता चली की "दूसरे के ब्लॉग पर टिपियाना मत भूलना". वैसे तो बाजार में नाना प्रकार के डिक्सनरी उपलब्ध हैं लेकिन ये डिक्सनरी मार्केट में उपलब्ध बाकी डिक्सनरी से बिलकुल अलग है.

इसमें कमेन्ट को अलग अलग पार्ट में बांटा गया है. जैसे, अगर आप जल्दी में हैं, पोस्ट पढने का समय नहीं है लेकिन आप फिर भी टिपियाना चाहते हैं तो लास्ट के दो चार कमेन्ट को पढ़ कर एक "आईडिया" ले लें, और नीचे लिखे शब्द कोष में से कोई सा भी कॉपी पेस्ट कर सकते हैं. पोस्ट अगर इमोशनल लगे तो इनका प्रयोग करें - उनकी ही कविता में से दो पंक्तियाँ उठाकर - "मर्म स्पर्शी", उनके पोस्ट में से एक लाइन लेकर - "बेहतरीन", मन को छू गयी...क्या कहें, संवेदनशील कहानी, मार्मिक प्रस्तुति, स्तब्ध, आभार, साभार, संवेदनशील कहानी, दिल को छू गयी रचना, ओह...आँखें नम हो गयी इत्यादी इत्यादी. इन सबके साथ आप अपने मार्केटिंग कैमपेन को जारी रखें - आप बहुत अच्चा लिखती हैं, कृपया हमारे ब्लॉग पर भी पधारें", हमारे ब्लॉग भीगिपलकें.कौम पर आपका स्वागत है, कृपया आप भी मेरे ब्लॉग के सदस्य बने, मैं आपका बन चुका, आदि का प्रयोग स्वीकार्य है! 

क्या आपके पास लास्ट के तीन चार कमेन्ट पढ़कर 'आईडिया' लेने का समय नहीं है? कोई बात नहीं, उसका भी इलाज हमारे विश्वस्तरीय लैब में निकाला जा चूका है. वाह, खतरनाक, बेजोड़, धासू, बहुत सही है, कमाल का लिखती/लिखते हैं आप, कृपया हमारे ब्लॉग पर भी पधारें, बहुत अच्छा, बहुत अच्छी प्रस्तुति, धन्यवाद, अति सुन्दर लेख, बेहतरीन, साधुवाद, जय हिंद इत्यादी इत्यादी. संस्मरण/पर्सनल पोस्ट - बहुत सुन्दर, सुन्दर संस्मरण, अद्भुत, रोचक, रोचक वर्णन, रोचक घटना, वाह मजा आ गया, मस्त पोस्ट, भावपूर्ण, सारगर्भित, बढ़िया दृश्यंकन, अद्भुत दृष्टिकोण, आपका जवाब नहीं, धन्य हुए पढ़कर, साधुवाद, धन्यवाद, शुभकामनाएँ, इसे और आगे बढ़ाइए।, अच्छी जानकारी, दिलचस्प, सार्थक लेखन के लिए बधाई अगर आप थोडा हटके और पर्सनल कमेन्ट करना चाहते हैं तो निम्नलिखित का प्रयोग करें - "हिंदी की यूँही सेवा करते रहें", कुछ दिनों से व्यस्तता होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका माफ़ी चाहता हूँ (जैसे ही हम पलक बिछा कर बईठे ही हुए थे), आपकी लेखनी में निखार आता जा रहा है, लिखते रहें, अगली कड़ी का बेसब्री से इंतजार, आप बहुत देर से पोस्ट लिखते हैं।, आपकी इस पोस्ट पर कहने को शब्द नहीं मिल रहे, आपके ब्लॉग पर आना हमेशा ही सुखद होता है, आपके हर पोस्ट में कुछ नया जरूर होता है, आपकी लेखन शैली अद्भुत है, बहुत दिनों के बाद आज इधर आना हुआ, अच्छा लगा।, 

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे। यह पोस्ट किसी के ऊपर निजी तौर पर नहीं लिखा गया है इसलिए खिसियाईये मत, हम तो कहते हैं की दू चार ठो यहाँ बता कर ही जाईये. जा झाड के!