Monday, April 11, 2011
बिहारफ़ोर्डवा डिक्शनरी
प्रस्तुत है - बिहार के ईस्पेसल डिक्सनरी से कुछ शब्द
" कपड़ा फींच लो, बरतन मईंस लो, ललुआ, ख़चड़ा, खच्चड़, ऐहो, सूना न, ले लोट्टा, ढ़हलेल, धुत्त मरदे, ए गो, दू गो, भकलोल, छछ्लोल, बकलाहा, का रे, टेसन (स्टेशन), चमेटा (थप्पड़), ससपेन (स्सपेंस), हम तो अकबका (चौंक) गए, जोन है सोन, जे हे से कि, कहाँ गए थे आज समवा (शाम) को?, बत्तिया बुता (बुझा) दे, सक-पका गए, और एक ठो रोटी दो, कपार (सिर), तेंदुलकरवा गर्दा मचा दिहिस, धुर् महराज, अरे बाप रे बाप, ऐने आवा हो (इधर आओ), टरका दो (टालमटोल), का हो मरदे, लैकियन (लड़कियाँ), लंपट, लटकले तो गेले बेटा (ट्रक के पीछे), चट्टी (चप्पल), रेसका (रिक्सा), ए गजोधर, बुझला बबुआ (समझे बाबू), सुनत बाड़े रे (सुनते हो), फलनवाँ-चिलनवाँ, कीन दो (ख़रीद दो), कचकाड़ा (प्लास्टिक), चिमचिमी (पोलिथिन बैग), खटिया, बनरवा (बंदर), जा झाड़ के, पतरसुक्खा (दुबला-पतला आदमी), ढ़िबरी, चुनौटी, बेंग (मेंढ़क), नरेट्टी (गरदन) चीप दो, कनगोजर, गाछ (पेड़), गुमटी (पान का दुकान), चमड़चिट्ट, लकड़सुंघा, गमछा, लुंगी, अरे तोरी के, अइजे (यहीं पर), का कीजिएगा (क्या करेंगे), दुल्हिन (दुलहन), खिसियाना (गुस्सा करना), दू सौ हो गया, लफुआ (लोफर), फर्सटिया जाना, मोछ कबड़ा, थेथड़लौजी, नरभसिया गए हैं (नरवस होना), पैना (डंडा), इनारा (कुंआ), चरचकिया (फोर व्हीलर), खिसियाना (गुस्साना), मेहरारू (बीवी), मच्छरवा भमोर लेगा (मच्छर काट लेगा), टंडेली नहीं करो, ढेर बोलोगे तो मुँहवे बकोट (नोंच) लेंगे, आँख में अंगुली हूर देंगे, चकाचक, ससुर के नाती, लोटा के पनिया, पियासल (प्यासा), ठूँस अयले रे? (खा लिए), कौंची (क्या) कर रहा है, जरलाहा, कुच्छो नहीं (कुछ नहीं), अलबलैबे, ढेर लबड़-लबड़ मत कर, गोरकी (गोरी लड़की), पतरकी (दुबली लड़की), ऐथी, अमदूर (अमरूद), आमदी (आदमी), सिंघारा (समोसा), खबसुरत, भोरे-अन्हारे, ओसारा बहार दो, ढ़ूकें, आप केने जा रहे हैं, कौलजवा नहीं जाईएगा, अनठेकानी, लंद-फंद दिस् दैट, देखिए ढ़ेर अंग्रेज़ी मत झाड़िए, लंद-फंद देवानंद, जो रे ससुर, काहे इतना खिसिया रहे हैं मरदे, ठेकुआ, निमकी, भुतला गए थे, छूछुन्दर, जुआईल, बलवा काहे नहीं कटवाते हैं, का हो जीला, ढ़िबड़ीया धुकधुका ता, थेथड़, मिज़ाज लहरा दिया, टंच माल, भईवा, पाईपवा, तनी-मनी दे दो, तरकारी, इ नारंगी में कितना बीया है, अभरी गेंद ऐने आया तो ओने बीग देंगे, बदमाशी करबे त नाली में गोत देबौ, बिस्कुटिया चाय में बोर-बोर के खाओ जी, छुच्छे काहे खा रहे हो, बहुत निम्मन बनाया है, उँघी लग रहा है, काम लटपटा गया है, बूट फुला दिए हैं, अलुआ, सुतले रह गए, माटर साहब, तखनिए से ई माथा खराब कैले है, एक्के फैट मारबौ कि खुने बीग देबे, ले बिलैया - इ का हुआ, सड़िया दो, उठा के बजाड़ देंगे, गोइठा, डेकची, कुसियार (ईख), रमतोरई (भींडी), फटफटिया (राजदूत), भात (चावल), देखलुक (देखा), दू थाप देंगे न तो मियाजे़ संट हो जाएगा, बिस्कुट मेहरा गया है, एक बैक आ गया और हम धड़फड़ा गए, फैमली (पत्नी), बगलवाली (वो), भितरगुन्ना, लतखोर, भुईयां में बैठ जाओ, मैया गे, काहे दाँत चियार रहे हो, गोर बहुत टटा रहा है, का हीत (हित), फोडिंग द कापाड़ एंड भागिंग खेते-खेते, मुझौसा, गुलकोंच(ग्लूकोज़)।"
कुछ शब्दों को आक्सफोर्ड डिक्शनरी ने भी चुरा लिया है। और कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियाँ इन शब्दों को अपनें ब्रांड के रूप में भी यूज़ कर रही हैं। मसलन
- देखलुक - मतलब "देखना" - देख --- लुक (Look)
- किनले - मतलब "ख़रीद" - KINLEY ( Coca Cola Mineral Water)
- पैलियो - मतलब "पाया" - Palio (Fiat's Car)
- गुच्ची - मतलब "छेद" - Gucci (Fashion Products)
अब बिहार में आपका नाम कैसे बदल जाता है उसकी भी एक बानगी देखिए। यह इस्टेब्लिस्ड कनवेंशन है कि आपके नाम के पीछे आ, या, वा लगाए बिना वो संपूर्ण नहीं है। मसलन....
- राजीव - रजिब्बा
- सुशांत - सुसंत्वा
- आशीष - आसिस्वा
- राजू - रजुआ
- रंजीत - रंजीतवा
- संजय - संजय्या
- अजय - अजय्या
- श्वेता - शवेताबा
कभी-कभी माँ-बाप बच्चे के नाम का सम्मान बचाने के लिए उसके पीछे जी लगा देते है। लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं कि उनके नाम सुरक्षित रह जाते हैं।
- मनीष जी - मनिषजीवा
- श्याम जी - शामजीवा
- राकेश जी - राकेशाजीवा
अब अपने टाईटिल की दुर्गति देखिए।
- सिंह जी - सिंह जीवा
- झा जी - झौआ
- मिश्रा - मिसरवा
- राय जी - रायजीवा
- मंडल - मंडलबा
- तिवारी - तिवरिया
ऐसे यही भाषा हमारी पहचान भी है और आठ करोड़ प्रवासी-अप्रवासी बिहारियों की जान भी। यह शब्दकोष आज से कुछ वर्ष पहले मैंने और दुर्गेश भईया ने मिल के लिखी थी, मैं उनको भी आभार देना चाहती हूँ.
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ReplyDeleteआगे बबुनी, अईमें लारी काहे छोड़ दीं हँय ?
हमको टीसनो नहिं देखाया, लेकिन लरियो छोड़ देंगी, तऽ डेस्टीनेसन कईसे पाइयेगा !
बहुत सन्न्नाट पोस्ट..मजा आ गया..
ReplyDeleteझा जी - झौआ.....
ReplyDeleteकान ल गेल कौआ ...
हा हा हा बढियां है एकदम झक्कास बुकमार्क करके रखे लिए हैं समय समय पे हेल्प लिया करेंगे इसका
हा हा ... गजब का विश्लेषण है रे....
ReplyDeleteमजा आ गया। अब अपने बिहारी मित्रों को चकित कर सकेंगे।
ReplyDeleteआदत खराब है, ’एगो’ करैक्शन सुझा रहा हूं:)
KINLEY - पेप्सी का नहीं कोका कोला कंपनी का ब्रांड है। सुधार लीजिये।
मिश्रा - मिसरवा
ReplyDeleteगनीमत है ... कुछ और नहीं हो गया मिश्रा जी का ... इतना तो झेल लेंगे ...!!
अपना नाम तो बोलबे नहीं की तुम....
ReplyDeleteस्तुति = इस्तुतिया :P
और सुनो...ज्यादा अलबलायेगी..ज्यादा लबड़ लबड़ करेगी न त नरेट्टी चीप देवेंगे :D
अभिषेक के कमेंट को हमारा भी कमेंट समझा जाये बस हम नट्टी दबायेंगे :p
ReplyDeleteहा हा हा ! एमे से कितना त हमरी बबुनी का तकिया कलाम है :-)
ReplyDeleteअतना बढ़िया मजेदार पोस्टवा लिखी हैं जी आप...पेटवा में दरद हो गया हँसते हँसते :D :D
ReplyDeleteइतने दिनों बाद और इतनी भारीभरकम पोस्ट।
ReplyDeleteहा हा कमाल की पोस्ट है...बड़ी मेहनत से लिखी है...
ReplyDeleteमिसराइन...डाक्टराइन....साहेबाइन...के तर्ज़ पर आपको क्या कहा जा सकता है...इस्तुती पंडीआईन :)
इस्तुतिया त बहुतै निम्मन लिखती है, एकदमै गर्दा उड़ान जईसन :)
ReplyDeleteबहुत समय पहले प्रख्यात व्यंग्यकार शरद जोशी जी बिहार जाकर "नरभसा" गये थे.... अब समझ में आया कि ऐसा क्यों हुआ था .
ReplyDeleteमैडम हमरा एक ठो बात मानी तो येप्पर कौनो युनिभर्सितिया से पी एचडी डिगरिया लैलें !
ReplyDeleteई कौने मिसिरवा ससुरे क बात कहली हैं आंप ? तानी हम भी तो बूझीं !
mazedar post..
ReplyDeleteबहुत मजेदार पोस्ट है.
ReplyDeleteकिनले, पैलियो और गुच्ची वगैरह के लिए इन कंपनियों के ऊपर इंटरनेशनल बिहारी एसोसियेशन अब मुकदमा ठोंक ही दे. जो होगा देखा जाएगा:-)
buchhi bar div bar nimman likhe hau.....
ReplyDeleteअभिषेक कुमार की टीप को सौ नम्बर!
ReplyDeleteअरे पंडाइन त बहुते नीमन पोस्ट लिखी देले बाड़ी हो. बाह. :)
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteजबर लिखा है जी!
sab jane- pahchane apnapan liye haue shabd ....bahut achcha laga.
ReplyDeletebahut sunder laga
ReplyDeletehamro accha laga ee postwa...
aisi dictionarny ban sakti hai :)
अरे मन चकचका दिया बबुनी...
ReplyDeleteकुछ और जोड़ लो...
परफेसर साहेब, ढेका (धोती का), सकरफांस, दालमोट(चनाचूर), बाबा का बथान समझे हो का हो, रमतोरोई (भिन्डी),कल्ला (जबड़ा)तोड़ देबौ...
दस मिनट और बैठ के ध्यान दूं तो कुछ और एड हो जायेगा...ठीक है कभी फुर्सत में इस प्रोजेक्ट में लगती हूँ...लेकिन कमाल का स्टाक जुटाया है...
कहें तो हिरदय परसन्न,एकदम लहालोट हो गया ई पोस्ट पढ़ के...जियो...
हा हा हा , एकदम मस्त , इ लगत है ,"सुहतात है" मतबल आराम करना छूट गया.
ReplyDeleteआसिस्वा रायजीवा
समीर जी के लेख से आपके ब्लॉग का लिंक मिला. देखा, पढ़ा, बहुत अच्छा लगा. और ये शब्दकोष तो गजब का है... वाकई आपने छोटी छोटी चीजों को ओब्जर्व किया है. बधाई
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है.
चलने की ख्वाहिश...
हमरे बिहारी भासा ज्ञान में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई आपकी इस पोस्ट से...कमाल किये हैं...
ReplyDeleteनीरज
pata nahi kitne bhoole hue shabd yaad aa gaye
ReplyDeleteKUCHU CHODALAHI NAIKHU ADD KARE KHATIR...SAANCHO NITISAWA DEKHI TA BAURA JAYEE...CHATAK BA PADHE ME.
ReplyDeleteमेरा भी सर्मर्थन ले लो, आपका कम लिखना खलता है... इसका ध्यान रखा जाना चाहिए
ReplyDeleteकेन्ने बिला जाती हो जी...तनी जल्दी जल्दी आया करो.
ReplyDeleteइई सागरवा ऐसन भासा में कमेंट केने कर गया...ई त एकदम पोस्टवा के भासा का अपमान है.
ले बिलैय्या का पूरा ऐसा कहते हैं हम...ले बिलैय्या लेल्ले पार! :)
matlab gazabe ka sangrah mazak mazak me ho paya hai...ehe bhaaswe hai bihar ka jee ,eme hum aa chahe kehu aur kucho nhi kar sakta hai..baaki aaj bahut maza aaya likhit taur pe bhaswa ka aanand leke..bahute sarahniye prayas rha...
ReplyDeletevery funny....
ReplyDeleteअंगिका प्रेम आपके ब्लॅाग को जीनंत बनाता है।
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