Tuesday, April 13, 2010

तुलसी जी


दो दिन पहले मैंने घर पे तुलसी जी का पौधा लगाया! बहुत दिन से इच्छा थी, लेकिन कोलोराडो के क्रूर जलवायु के कारन लगाने से डरती थी!

देखिये... आज तो प्रसन्न दिख रही हैं!



तुलसी जी के पौधे से बचपन से एक लगाव सा रहा है! नानी का घर बहुत बड़ा था, बड़ा सा आँगन और आँगन के एक कोने में एक चबूतरे पे नानी ने तुलसी जी का पौधा लगाया था और उनकी जड़ों के पास एक शिवलिंग की स्थपाना की थी जिसकी वो नियम से पूजा करती थीं! और नानी हमेशा तुलसी पौधे की विशेषता बताती थी! तुलसी जी का विवाह भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता था.

17 comments:

  1. अरे वाह.. :)

    तुम अपने ब्लाग को किसी ब्लाग अग्रीगेटर से जोड लो तो लोगो को तुम्हारे ब्लाग तक पहुचने मे आसानी रहेगी..

    ReplyDelete
  2. शेक्सपियर का कथन जो आपके आत्मकथ्य के
    रूप में लगा है..कुछ भी अच्छा या बुरा...? मन से
    सब है . पर फ़िर भी प्रश्न ये तो है कि फ़िर सच क्या
    है अगर आप जो हो रहा है उसको सहने को विवश
    हैं तो फ़िर ये कितना अजीब है फ़िर ये अच्छा या
    बुरा साधारण स्थिति में कहा जा सकता है वरना
    परेशानी होने पर हाय हाय करता है कुछ भी
    अच्छा बुरा न लगे और परस्थितियों पर आपका
    नियन्त्रण हो फ़िर बात अलग है वैसे आपने ब्लाग का
    जो टेम्पलेट चुना है वही सेम मेरा है लेकिन मुझे
    पता है तुलसी आदि के वारे में...आपके संस्कार
    ही है . वरना सच्चाई बहुत अलग है . मैं आपको
    सजेस्ट करूँगा कि आप "अनुराग सागर " कबीर
    धर्मदास अवश्य पङें ये बुक आपको या किसी को
    भी बदल सकती है..शेष शुभकामनायें

    ReplyDelete
  3. Nice Blog......!!!!keep it on.....!!!!

    http://idharudharki1bat.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. गूगल बज़ में तो देख ही चुके हैं. :)

    ReplyDelete
  5. हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  6. wahhh bahut sundar....likhte raho hindi jagat main swagat hai!!

    Jai Ho Mangalmay HO

    ReplyDelete
  7. very good ur most welcome in our blog group

    ReplyDelete
  8. blog ki dunia me swagat hai aapka ...... shubhkamnaye

    ReplyDelete
  9. गुड...स्वागत है लेखन में

    ReplyDelete
  10. बज़ में देखा था तुलसी जी को।
    सुखद है हमेशा नारायण के प्रत्येक भक्त, चिह्न, प्रतीक से मिलन, दर्शन, संग सभी कुछ।

    ReplyDelete
  11. मेरी नानी भी मुझे सुनाती थी बचपन में तुलसी के पौधे की विशेषता और महत्ता बताती थी...आज भी जब नानी के साथ फुरसत के झनो में बैठता हूँ तो बहुत कुछ ऐसी बात नानी से सीखने को मिलता है

    ReplyDelete
  12. अब तो बड़ा हो गया होगा पौधा...नई फोटू टांको!!

    ReplyDelete
  13. उड़न तश्तरी जी के बातों पर गौर किया जाए :)

    ReplyDelete
  14. समीरलाल की बात नहीं मानी अभी तक? क्या हो गया है तुमको जी?

    ReplyDelete