Sunday, July 18, 2010

अमानत


आज सुबह घर पर फोन किया तो पापा ने बताया की मम्मी राशि को लेकर मार्केट गयी हैं, ये बताते हुए पापा का गला रुंध रहा था, मैं ठीक से कुछ समझ नहीं पायी लेकिन उस समय विस्तार जानकारी लेना उचित नहीं समझा. बाद में पता चला की राशी की शादी तय हो गयी है, और मम्मी उसी की तैयारी के सम्बन्ध में गयी थीं.

राशी मेरी मम्मी की सबसे पुरानी और प्रिय मित्र, सिन्धु मौसी, की बेटी है. मम्मी और मौसी एक ही कालोनी में बड़े हुए, एक ही स्कूल में गए, कॉलेज और दोनों की शादी भी लगभग आस पास ही हुई. आज बस इतना अंतर है की सिन्धु मौसी इस दुनिया में नहीं हैं, और राशि अपने नाना नानी के साथ रहती है.

करीब १८ साल पहले सिन्धु मौसी की हत्या कर दी गयी थी. उनके पति ने उन्हें जला कर मार डाला. रिपोर्ट से ये भी पता चला था उनके जले हुए शरीर पर चीनी चिपकी हुई थी. राशी तब बहुत छोटी थी, लेकिन उसे ये अच्छी तरह याद है की जब उसकी मम्मी जल रही थीं, तब उसके "पापा" उनपर चीनी छिड़क रहे थे. आरा में केस दर्ज किया गया, मेरी मम्मी भी गवाह की लिस्ट में मौजूद थीं. पापा और मम्मी ने पटना-आरा का कई सालों तक बहुत चक्कर लगाया. हत्यारे को मात्र ४ साल की सज़ा हुई.

राशी मेरे माँ पापा के लिए सिन्धु मौसी की अमानत थी. होली हो या दिवाली, अगर मेरे लिए कुछ आता तो वो राशी के लिए भी आता. मेरे घर के पूजा स्थल पर एक छोटा सा बटुआ रखा हुआ है, मम्मी बताती हैं की वो मौसी का दिया हुआ है, उनकी आखिरी गिफ्ट. मौसी बुनाई बहुत अच्छी करती थीं, उन्होंने मेरे पापा के लिए एक स्वेटर बनाया था, जिसके कई धागे निकल चुके हैं हैं लेकिन पापा ने वो आज भी घर के बड़े संदूक में बहुत संभाल कर रखा है. आज जब राशी की शादी हो रही है, माँ और पापा की आँखें नम हैं और ह्रदय भावनाओं से भरा हुआ है, कन्यादान जो करना है.

आज घर में मौसी की पुरानी यादें घूम रही हैं!