मेरे मित्र अलबर्ट, जो भोजपुरी बोलने का प्रयास कर रहे हैं!
यहाँ वो कह रहे हैं - "हमार नाम अलबर्ट हा, हम स्तुति के जोरे काम करी ला"
Thursday, May 27, 2010
Sunday, May 23, 2010
मीटर लोड
आजकल मेरे पिताजी बहुत परेशान हैं! घर में बिजली के मीटर का कुछ तो झमेला है, जिसके चक्कर में कई बार बिजली ऑफिस के चक्कर काट चुके हैं. कहते हैं - 'इ ससुरा सब खाली लूटने खसोटने का काम लगवले है'
बिजली ऑफिस से पिछले ही हफ्ते कोई घर पे मीटर का लोड निरीक्षण करने आने वाला था, बस फिर क्या था? इतना ही काफी था पापा का घर को सर पे उठाने के लिए. रसोईघर से माइक्रोवेव, टोस्टर, जूसर इत्यादी सब बंक बेड में डाल दिए गए. लिविंग रूम में से म्यूजिक सिस्टम का वूफर तक अंदर रख दिया. खैर...चलिए यहाँ तक तो ठीक है लेकिन कमरों में जो ऐ.सी लगा हुआ है उसका क्या किया जाए??? लेकिन मेरे पिताजी के पास उसका भी हल था, उन्होंने उनके सामने अपनी लूंगी और धोती टांग दी! उद्देश्य मात्र इतना था की बिजली विभाग के अफसर की बुरी नज़र उन बिजली खपाऊ उपकरणों पे न पड़ जाएँ नहीं तो बिना वजह के.वी लोड बढ़ा देंगे घर का. फलस्वरूप आपको एक स्थायी राशि(जो की तत्कालीन राशि से कहीं ज्यादा है) अपने बिजली बिल के साथ देनी पड़ेगी जो मेरे पिताजी को किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं था. अब इतनी स्टेजिंग के बाद तो अच्छे अच्छों के छक्के छूट जाएँ फिर वो अफसर ही क्या था. निरीक्षण में अनुकूल परिणाम मिलने के बाद पिताजी ने कहा - भैईल बियाह मोर करब का!!
Friday, May 14, 2010
समीर लाल & अनूप शुक्ल
क्या आप भी मेरी तरह फ़ालतू ब्लोगर हैं? अपने ब्लॉग पे ट्राफिक कम रहने से परेशान हैं? फालोवर की संख्या बढ़ाना चाहते हैं? ब्लॉग जगत में नाम कमाना चाहते हैं? तो घबराईये नहीं...हमारी परचार गाडी के निकट आ जाईये और आप भी लिख डालिए समीर लाल और अनूप शुक्ल का नाम अपने टाइटल में!
जी हाँ साहेबान, कदरदान (जो भी गिनती के हैं)!
इस जंग में हम सब की तो जैसे निकल पड़ी है! अगर ब्लॉग पे टिपण्णी बढ्वानी हो या "फालोवर" की संख्या, बस, ले डालिए ये दो नाम और फिर देखिये, बिलकुल राम बाण का काम करेगी, फुल गारंटी नहीं तो मेम्बरशिप वापस! इस विषय के चलते सब की ऐसी निकल पड़ी है जैसे मेले में चाट वालों की जहाँ सब सडा-गला चलता है और लोग उंगलियाँ चाट चाट के खाते हैं! आईये....आप भी बेचिए...मैं भी बेचूं ..हम सब मिलकर बेचें ...और अपने अपने ठेले का नाम पापुलर करें! मैं यहाँ किसी का पक्ष लेने नहीं आई, ना ही इसमें कोई दिलचस्पी है....दिलचस्पी तो है....हें हें ...समझ ही रहे हैं आप!
फर्जी टाइटल के लिए क्षमा ....पता था, आप टिपियईबे करेंगे! :) हाँ हाँ मैं हूँ अवसरवादी ब्लॉगर!!
दिल की बात सुने दिलवाला...सीधी सी बात ना मिर्च मसाला ...
कहके रहेगा कहने वाला...
दिल की बात सुने दिलवाला....
Thursday, May 13, 2010
अतिथि देवो भव!
माइकल और मैं!
आज एक बड़ी मजेदार बात हुई ऑफिस में! मेरे मित्र, माइकल टॉय, अपनी धर्मपत्नी, नीसीस, के जन्मदिन के उपलक्ष में मुझे न्योता दे रहे थे, उस सम्बन्ध में हमारे बीचहुई ये वार्तालाप पढ़िए -
माइकल - स्तुति, क्या तुम्हे ईमेल पे न्योता मिल गया?
स्तुति - हाँ, माइक, मिल गया, धन्यवाद!
माइकल- तुम आ रही हो ना?
स्तुति- हाँ, ज़रूर :)
माइकल- अपने कुछ मनपसंद कलाकारों के गीतों की सी डी भी ला सकती हो
स्तुति - अच्छा! बॉलीवुड चलेगा?
माइकल- हाँ, बिलकुल
माइकल - क्या तुम मदिरा सेवन करती हो?
स्तुति - नहीं
माइकल - फिर भी पार्टी के लिए लेकर आना
स्तुति - ठीक है * (संकोच के साथ)
स्तुति - लेकिन तुम्हे मुझे नाम इत्यादी बताने होंगे
माइकल - हाँ, वहां बहुत सारे लोग होंगे
माइकल - वोदका ले आना
स्तुति - किस ब्रांड की? और कहाँ मिलेगी?
माइकल - स्काई ब्रांड की....किसी भी लिकर स्टोर में मिल जाएगी
स्तुति - कितनी बोतल ?
माइकल - एक
स्तुति - और कुछ ?
माइकल - अगर मन हो तो मेरी पत्नी के लिए कोई उपहार ...और हाँ....कोई भारतीय स्नैक हो तो मज़ा आ जायेगा!
स्तुति - ज़रूर ज़रूर!
कितना अंतर है ना ... शुरुआत में अजीब सा लगा....फिर सोचा की इनकी सभ्यता में कहाँ है - 'अथिथि देवो भव' , वो बात अलग है की आजकल 'अतिथि तुम कब जाओगे' जैसी पिक्चरें भी बन रही है! :-)
Tuesday, May 11, 2010
सोफ्ट ड्रिंक
Monday, May 3, 2010
बम स्क्वाड
शनिवार को ऐसे ही टी.वी का चैनल बदल रही थी, देखा की न्यू योर्क शहर के टाईम्स स्कवैर पे एक कार में कुछ विस्फोटक सामग्री पायी गयी और देखते देखते पुरे इलाके को खाली करवा दिया गया! यहाँ के बम-स्क्वाड को देखा तो अपने इंडिया के बम-स्क्वाड की याद आ गयी! अभी हाल में ही दिल्ली में मिले रेडियो-एक्टिव वस्तुओं की जांच कर रही टीम को देखा था, कैसुअल कपड़ों में, पैर और हाथ में कुछ लपेटा हुआ था और एक लकड़ी से किसी ढेर को हूर रहे थे!
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