
ब्रूक्स की फोटो
मेरी मित्र हैं हेलन. उनके कुत्ते का नाम है 'ब्रूक्स'. हाल ही में हेलन को दस दिन के लिए दूसरे शहर जाना था और वो किसी कारणवश ब्रूक्स को अपने साथ नहीं ले जा सकती थीं. तो उन्होंने ब्रूक्स के लिए दस दिन का 'पेट होटल' (जी हाँ, सही पढ़ा आपने. यहाँ जानवरों के लिए अलग से होटल है)बुक करवाया. हेलन अभी अभी लौट के आई हैं, और आज लंच पर मैंने उत्सुक्तावश उनसे 'जानवरों के होटल' के बारे में पूछा. दस दिन का छः सौ डॉलर (खाना-पीना, टहलाना, मन बहलाना इत्यादी मिला के) और ....ब्रूक्स को 'थाईरोयेड' है जिसके लिए रोज सुबह दवाई देनी होती है और जिसका खर्चा है बारह डॉलर प्रति दिन. कुल मिला कर सात सौ बीस डॉलर दस दिन अपने कुत्ते की देखभाल करवाने का. मैंने पूछा की दवाई देने का इतना महंगा क्यूँ? उन्होंने बताया की जो लोग कुत्तों को दवाई देते/खिलाते हैं, वो खास तौर पे "ट्रेन" किये जाते है, और उस होटल में इस 'ट्रेनिंग' की सर्टिफिकेट वाले ही जानवरों को दवाई खिलाते हैं.
मैंने हेलन से कहा की इतने पैसे खर्च करने पर उन्हें अफ़सोस नहीं हुआ? इस पैसे से वो कुछ और भी कर सकती थीं. तो उन्होंने कहा की ब्रूक्स उनके बच्चे जैसा है, और वो अपने बच्चे के प्रति लापरवाही नहीं कर सकतीं. इस देश में जानवरों के प्रति जितना प्रेम और करुना भाव मैंने देखा है, उतना हम और आप सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं. अभी पिछले हफ्ते की बात है, मैं ऑफिस जा रही थी रास्ते में एक जगह सारी गाडियां रुकी हुई थी क्यूंकि एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा सड़क पर भटक रहा था, जो की यहाँ के लिए असोचनीय है, गाडियां इस लिए रुक गयीं ताकि वो बच्चा किसी गाडी के नीचे न आ जाये. इतने में मैंने देखा की पुलिस और 'एनिमल कंट्रोल' की गाडी वहां आई और उस बच्चे को उठा कर सुरक्षित स्थान पर ले गयी, फिर यातायात खुला.
आपने अखबारों या समाचार में पढ़ा होगा की किसी ने अपने कुत्ते या बिल्ली के लिए अरबों-खरबों की संपत्ति छोड़ दी है, हेलन न तो अरबों की मालकिन हैं और न ही किसी बड़े अमीर खानदान से रिश्ता है उनका. हमारे आपकी तरह माध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं लेकिन अपने जानवरों से उतना ही प्रेम करती हैं जितना एक माँ अपने बच्चे से करती है.